THE SINGLE BEST STRATEGY TO USE FOR BAGLAMUKHI SADHNA

The Single Best Strategy To Use For baglamukhi sadhna

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शत्रु का नाश करने वाला…

Lamps should be lit in front of the idol of the goddess retained on a heap of turmeric. Reciting goddess Bagalamukhi’s Mantras and presenting yellow clothing towards the goddess relieves a person from all kinds of road blocks and sufferings.

- ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।

अर्थात् – विराट् दिशा’ दशों दिशाओं को प्रकाशित करनेवाली, ‘अघोरा’ सुन्दर स्वरूपवाली, ‘विष्णु-पत्नी’ विष्णु की रक्षा करनेवाली वैष्णवी महा-शक्ति, ‘अस्य’ त्रिलोक जगत् की ‘ईशाना’ ईश्वरी तथा ‘सहसः ‘महान् बल को धारण करनेवाली ‘मनोता’ कही जाती है।

Exclusive importance of Guru Diksha is to know to follow Vedic and Tantric principles and to realize from them by adopting them. The law of the holy initiation ceremony could be the purification of all sins and to remove all the problems.

I have performed some sadhanas of Her , but I need to do the reliable and suitable sadhana which yeilds The end result .

अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।

रात्रि ११ बजे मंगलाचरण के साथ द्वार खोल। देवी स्तुति, गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग, हवन सुबह ४ बज, देवी अभिषेक, वस्त्राभूषण, षोडशोपचार पूजन, ध्वज चढ़ाने के पश्चात देवी आरती।





ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मखम पदम् स्तम्भय।

प्रथम उपचार: देवी का आवाहन करना (देवी को बुलाना)

चौदहवां उपचार: देवीको मनपूर्वक नमस्कार करना

जो साधक अपने इष्ट देवता का निष्काम भाव से अर्चन करता है और लगातार उसके मंत्र का जप करता हुआ उसी का चिन्तन करता रहता है, तो उसके जितने भी सांसारिक कार्य हैं उन सबका click here भार मां स्वयं ही उठाती हैं और अन्ततः मोक्ष भी प्रदान करती हैं। यदि आप उनसे पुत्रवत् प्रेम करते हैं तो वे मां के रूप में वात्सल्यमयी होकर आपकी प्रत्येक कामना को उसी प्रकार पूर्ण करती हैं जिस प्रकार एक गाय अपने बछड़े के मोह में कुछ भी करने को तत्पर हो जाती है। अतः सभी साधकों को मेरा निर्देष भी है और उनको परामर्ष भी कि वे साधना चाहे जो भी करें, निष्काम भाव से करें। निष्काम भाव वाले साधक को कभी भी महाभय नहीं सताता। ऐसे साधक के समस्त सांसारिक और पारलौकिक समस्त कार्य स्वयं ही सिद्ध होने लगते हैं उसकी कोई भी किसी भी प्रकार की अभिलाषा अपूर्ण नहीं रहती ।

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